Legal Question in Family Law in India

मेरी माता a का विवाह लगभग सन 1992-93 के मध्य सुरसाबांधा निवासी – b के साथ हिन्दू रीति - रिवाज़ो के साथ संपन्न हुआ था लेकिन घरेलु कारणवश मेरे माता - पिता (a तथा b) का सामाजिक तौर पर (परन्तु क़ानूनी तौर पर नहीं ) लगभग सन 1998 - 2000 के मध्य तलाक ( विवाह-विच्छेद ) हो गया था , जिसके पश्चात अलग होकर मै तथा मेरी माँ नाना - नानी के यहाँ रहते थे. तथा मेरी माता ने मेरी संपूर्ण परवरिश किया , सन 2000 में मेरे माँ ने मेरा दाखिला गांव के स्कूल में करवाया था जिसमे ( शाला अभिलेखों में )मेरे वास्तविक पिता(b) का नाम तथा माता (a) का नाम लिखवाया गया था . उसी दौरान जब हम दोनों (मै मेरी माँ) अलग रहते थे तब सन 2001- 2002 के मध्य मेरी माता का सामाजिक तौर पर पुनर्विवाह ( "बना के जाना" परन्तु वैधानिक रूप से नहीं हुआ था) रायपुर निवासी - c के साथ हुआ . जिसमे उन्होंने मुझे भी अपने साथ रखने के लिए राजी हो गए लेकिन उस समय मेरा दत्तक पंजीयन नहीं हुआ था जिसके बाद से मै और मेरी माँ तब से लेकर अब तक वर्तमान में c के साथ निवास करते है तथा मै c को ही अपना अभिभावक एवं पिता तथा a को अपना वास्तविक माता मानता हूँ.

दिक्कत यह है की कक्षा पांचवी तक मेरे अंकसूची में पिता के नाम के स्थान पर मेरे जैविक पिता b का ही नाम लिखा था लेकिन बचपन में मेरे पिता के प्रति मेरे मन में जो नकारात्मक छवि बन गयी थी जिसके परिणामस्वरूप जब मै कक्षा 6वी में था तब अपने कक्षा 6वी के अंकसूची में कांटछांट करके पिता का नाम बदल कर वर्तमान पिता c का नाम लिख दिया था. जिसके आधार पर मेरे स्नातक एवं अन्य सारे दस्तावेजों में मेरे पिता c का नाम एवं माता a का नाम अंकित होते चला गया , आपको बता दूँ की वर्तमान में मेरे दोनों पिता जीवित है. तथा वर्तमान में मेरे वास्तविक पिता मेरी माता से तलाक होने की पुष्टि का बयान देने हेतु तथा सारी औपचारिकताएं निभाने को भी तैयार है परन्तु मै अब भी इस दुविधा में हूँ की मुझे अब आगे क्या करना चाहिए. मैंने इस समबन्ध में वकील से भी सलाह ली है परन्तु मै उनके सलाह एवं जानकारी से पूरी तरह संतुष्ट नहीं हो पा रहा हूँ .

वकील ने मुझे यह सलाह दी है की समाज द्वारा तलाक होने की पुष्टि की लिखित दस्तावेज ( लेटर हेड में समाज द्वारा प्रमाणन ) को वैधानिक रूप से तलाक की प्रक्रिया में मान्य दस्तावेज के रूप में न्यायलय में परिवाद के रूप में प्रस्तुत करने तथा तत्पश्चात तलाक की प्रक्रिया के बाद मुझे अपने वर्तमान पिता द्वारा दत्तक पंजीयन करवाते हुए दोनों व्यक्तियों से सम्बन्ध होने की पुष्टि करते हुए समाधान करने का सलाह दिया है. क्या उनकी ये परामर्श की विधि उचित एवं मान्य है ?

मेरे लिए दोनों पक्षों से संपत्ति में अधिकार सम्बन्धी दावों का कोई महत्व नहीं है.

मुझे आगे की राह बताइये जिससे की मेरे द्वारा बचपन में अनजाने में हुये इस गलती को सुधारा जा सके .

चूँकि अब मै बालिग हो चूका हूँ, क्या यह सम्भव है अथवा नहीं? क्या इसका कोई वैधानिक समाधान हो सकता है क्यूंकि मै प्रतियोगी परीक्षाओ की तैयारी भी कर रहा हु जिसमे मुझे आगे भारी दिक्कतों का भी सामना कर पड़ सकता है मै अब आगे कोई गैर क़ानूनी और अव्यवहारिक प्रयास नहीं करना चाहता हूँ तथा किसी भी तथ्य को तोड़-मरोड़कर या छुपाकर पेश नहीं करना चाहता हूँ , जिससे की मुझे मुझे निकट भविष्य में गंभीर परिणाम भुगतना पड़े .मै बहुत परेशान हूँ कृपया मेरी मदद करे .


Asked on 12/05/18, 10:06 pm

1 Answer from Attorneys

The opinions of advocate us correct but the problem is that now it is too late. life is not a picture which can be rewinded. Though you had made a mistake in manipulating in records and till date you accepted and accordingly made representation in society. The divorce between your biological parents is not recognised in law and is also not valid and likewise second marriage is also not valid and if you take any step then it may spoil and should also disturb all relations, so keep silent and let the life flow as it is flowing. If there is custom in your society of such divorce and marriage then law recognise such customs.

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Answered on 12/14/18, 10:46 pm


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